HSRP Number plate – इन राज्योमे HSRP Number plate लगवाने की अवधी 30 जुन 2025

hsrp number plate

वाहन मालिकों की नाराजगी और विभिन्न तकनीकी कठिनाइयों के कारण लिया गया निर्णय

नंबर प्लेट बदलने की समय सीमा बढ़ाई गई

मुंबई: राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से पहले पंजीकृत वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) लगाने का फैसला किया है। वाहन मालिकों को उच्च सुरक्षा पंजीकरण यानी HSRP प्लेट लगाने के लिए 30 अप्रैल, 2025 तक का समय दिया गया है। हालांकि, पुराने वाहनों पर उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट लगाने की दर में कमी आने के कारण उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट लगाने की समय सीमा बढ़ाकर 30 जून 2025 कर दी गई है।

वाहन संबंधी अपराधों को कम करने, सड़क पर वाहनों की शीघ्र पहचान करने तथा वाहन नंबर प्लेटों में धोखाधड़ी को रोकने के लिए, नए वाहनों पर उच्च सुरक्षा पंजीकरण नंबर प्लेट HSRP लगाई जा रही हैं। अप्रैल 2019 से पहले निर्मित 1 अप्रैल, 2019 के बाद खरीदे गए वाहनों में पुनः प्लेट लगाने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि निर्माता ने उनमें उच्च सुरक्षा पंजीकरण संख्या प्लेट लगा दी है।

परिवहन विभाग ने वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों पर ये प्लेट लगाने के लिए तीन संस्थाओं और निर्माताओं का चयन किया है। हालाँकि, वेबसाइट पर कई तकनीकी समस्याओं के कारण वाहन मालिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए, उच्च सुरक्षा पंजीकरण नंबर प्लेटें लगाई जाती हैं।

• ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के दौरान वाहन मालिकों के सामने आने वाली तकनीकी कठिनाइयों सहित विभिन्न कारणों से इसकी गति धीमी हो गई है।

वाहन मालिकों ने वेबसाइट क्रैश होने, लंबे समय तक प्रतीक्षा करने तथा एचएसआरपी स्थापना के लिए अपॉइंटमेंट निर्धारित करने में कठिनाई जैसी समस्याओं का सामना करने की बात कही।

परिवहन विभाग द्वारा समय-सीमा बढ़ाने का यह निर्णय वाहन स्वामियों के लिए इन समस्याओं के समाधान में लाभकारी सिद्ध होगा।

देर हो रही थी. वाहन मालिकों की कठिनाइयों को देखते हुए समय सीमा दो महीने बढ़ा दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने सभी वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट लगाने का निर्देश दिया है। तदनुसार, महाराष्ट्र राज्य सरकार ने 1 अप्रैल, 2019 से पहले निर्मित वाहनों पर उच्च सुरक्षा पंजीकरण संख्या प्लेट लगाने का निर्णय लिया है। ऐसे वाहनों के लिए यह पंजीकरण नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य है। हालांकि, वाहन मालिकों ने इस पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके अलावा, कई लोगों को अभी भी इस प्रक्रिया को पूरा करने में कठिनाई हो रही है।

Maldives v/s India. Car in Maldives

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भारत की इस क्षेत्र मे मारुती, टाटा की कारे नही चलती बल्की केवल टोयाटो की कारे चलती है।

भारत और मालदीव मे फुटबॉल की मैच हो रही है।

मालदीव की ऑटो इंडस्ट्री : कार कंपनियाँ और सबसे लोकप्रिय कार

मालदीव, जो अपने खूबसूरत द्वीपों और पर्यटन के लिए जाना जाता है, की ऑटो इंडस्ट्री भी धीरे-धीरे विकास की ओर अग्रसर है। यहाँ पर बड़ी पैमाने पर कार निर्माण नहीं होता, बल्कि कारों का आयात प्रमुखता से होता है। इस ब्लॉग में हम मालदीव की ऑटो इंडस्ट्री, प्रमुख कार कंपनियों और मालदीव में सबसे लोकप्रिय कार के बारे में चर्चा करेंगे।

मालदीव की ऑटो इंडस्ट्री का परिदृश्य

मालदीव का मुख्य ध्यान पर्यटन, होटल्स और रिज़ॉर्ट्स पर केंद्रित है। यहां के निवासियों और पर्यटन उद्योग के लिए विश्वसनीय और टिकाऊ वाहन एक महत्वपूर्ण आवश्यकता हैं। चूंकि स्थानीय उत्पादन की बजाय कारों का आयात होता है, इसलिए विदेशी ब्रांडों की उपस्थिति प्रमुख रूप से देखी जा सकती है। विशेषकर जापानी और यूरोपीय ब्रांड्स मालदीव के बाजार में लोकप्रिय हैं।

प्रमुख कार कंपनियाँ

टोयोटा (Toyota):

मालदीव में टोयोटा के वाहन अपनी विश्वसनीयता, टिकाऊपन और रख-रखाव में आसानी के कारण बेहद पसंद किए जाते हैं। मालदीव के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक, टोयोटा के मॉडल्स अक्सर सड़कों पर देखे जाते हैं।

होंडा (Honda):

होंडा भी मालदीव में एक प्रतिष्ठित नाम है। इसकी माइलेज, परफॉरमेंस और आधुनिक डिजाइन के कारण, यह ब्रांड स्थानीय और पर्यटकों दोनों के बीच लोकप्रिय है।

मर्सिडीज-बेंज (Mercedes-Benz) और बीएमडब्ल्यू (BMW):

उच्च श्रेणी के वाहन चाहने वालों के बीच ये ब्रांड भी अपनी प्रीमियम सेवाओं और शानदार डिजाइनों के लिए पसंद किए जाते हैं। हालांकि, ये वाहन मुख्य रूप से बड़े शहरों और विशेष प्रतिष्ठानों में देखने को मिलते हैं।

मालदीव में सबसे लोकप्रिय कार

मालदीव के बाजार में सबसे लोकप्रिय कार के रूप में टोयोटा के मॉडल्स की लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। टोयोटा की विश्वसनीयता, टिकाऊपन और उपलब्धता ने इसे स्थानीय निवासियों के बीच खासा लोकप्रिय बना दिया है। चाहे वह टोयोटा इंडीया या टोयोटा प्रीमियम मॉडल्स हों, इनके साथ जुड़ी विश्वसनीयता और आसानी के कारण इन्हें मालदीव में प्राथमिकता दी जाती है। इसके अतिरिक्त, मालदीव की सड़कों और जलवायु को ध्यान में रखते हुए, टोयोटा के ऐसे मॉडल्स जो ईंधन की बचत करते हों और रख-रखाव में सरल हों, ज्यादा पसंद किए जाते हैं।

निष्कर्ष

मालदीव की ऑटो इंडस्ट्री मुख्य रूप से आयात पर निर्भर है और यहां विदेशी ब्रांडों का दबदबा है। टोयोटा जैसी कंपनियाँ अपने टिकाऊ और विश्वसनीय वाहनों के कारण मालदीव के बाजार में सबसे आगे हैं। पर्यटन और स्थानीय उपयोग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, मालदीव में कारों का चयन करते समय विश्वसनीयता, रख-रखाव और ईंधन की बचत जैसे कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आने वाले वर्षों में, जैसे-जैसे मालदीव के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा, ऑटो इंडस्ट्री भी नए आयाम छू सकती है, जिससे यहाँ के बाजार में और अधिक विकल्प देखने को मिलेंगे।

“HSRP नंबर प्लेट अनिवार्य! जानें क्या है, फायदे, कीमत और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया”

HSRP

भारत में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP): नवीनतम अपडेट और जानकारी

भारत में वाहनों की सुरक्षा और अपराध नियंत्रण को मजबूत करने के लिए सरकार ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) को अनिवार्य बनाया है। यह पहल वाहन चोरी, नकली नंबर प्लेट, और कानून प्रवर्तन में आसानी के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अक्टूबर 2023 तक के नवीनतम अपडेट्स के साथ, आइए समझते हैं कि HSRP क्या है, इसके नियम, और इससे जुड़ी ताज़ा खबरें।

HSRP क्या है?

HSRP एक विशेष प्रकार की नंबर प्लेट है, जिसे भारतीय सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत अनिवार्य किया है। इसमें अत्याधुनिक सुरक्षा फीचर्स शामिल हैं:

क्रोमियम होलोग्राम: जिस पर ‘IND’ लिखा होता है और यह नकली होने पर रंग बदलता है।

लेजर कोड: हर प्लेट में यूनिक लेजर कोड होता है, जिससे वाहन की जानकारी ट्रैक की जा सकती है।

स्नैप लॉक सिस्टम: प्लेट को वाहन से हटाने पर यह स्वतः टूट जाती है।

रिफ्लेक्टिव शीट: रात में लाइट पड़ने पर नंबर चमकता है।

इसके अलावा, नई HSRP में ऊपर की ओर नीले रंग में ‘IND’ लिखा होता है, जो पुराने काले रंग के ‘IND’ से अलग है।

नवीनतम समाचार (अक्टूबर 2023)

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: सितंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को HSRP लागू करने का निर्देश दिया था। हालांकि, महाराष्ट्र, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने डेडलाइन (15 अक्टूबर 2023) से पहले प्लेट लगाने में देरी की शिकायत की। इसके बाद, कुछ राज्यों को फरवरी 2024 तक का विस्तार मिला है।

जुर्माना: HSRP न लगवाने पर ₹5,000 से ₹10,000 तक का जुर्माना लग सकता है। दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में पहले ही चालान अभियान शुरू हो चुके हैं।

ऑनलाइन आवेदन में वृद्धि: सरकार ने वेबसाइट https://bookmyhsrp.com को अपग्रेड किया है, जिससे उपयोगकर्ता घर बैठे प्लेट बुक कर सकते हैं।

HSRP के फायदे

चोरी रोकथाम: प्लेट को गाड़ी से अलग करने पर वह टूट जाती है, जिससे चोरी मुश्किल होती है।

पुलिस को सहूलियत: लेजर कोड और होलोग्राम से नकली नंबर पहचानने में मदद मिलती है।

पर्यावरण अनुकूल: HSRP एल्युमिनियम से बनी होती है, जो पारंपरिक प्लेट्स से अधिक टिकाऊ है।

कैसे करें आवेदन?

ऑनलाइन प्रक्रिया:

bookmyhsrp.com पर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर डालें।

प्लेट का प्रकार (कार, बाइक, ट्रक) चुनें और नजदीकी फिटिंग सेंटर बुक करें।

पेमेंट (₹200 से ₹1,200, वाहन के प्रकार के अनुसार) करें।

ऑफलाइन प्रक्रिया:

अपने राज्य के RTO या अधिकृत डीलर से संपर्क करें।

चुनौतियाँ और सावधानियाँ

उपलब्धता: ग्रामीण इलाकों में फिटिंग सेंटर्स की कमी है।

जागरूकता अभियान: कई लोग अभी भी HSRP के नियमों से अनजान हैं।

नकली HSRP: कुछ दुकानदार नकली प्लेट बेच रहे हैं। सुनिश्चित करें कि प्लेट पर ‘IND’ नीले रंग में हो और होलोग्राम लगा हो।

निष्कर्ष

HSRP न केवल कानूनी जरूरत है, बल्कि वाहन मालिकों की सुरक्षा का भी हिस्सा है। सरकार की यह पहल देशभर में वाहन प्रबंधन को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर आपने अभी तक HSRP नहीं लगवाई है, तो जल्द से जल्द आवेदन करें और जुर्माने से बचें।

नोट: नवीनतम अपडेट्स के लिए अपने राज्य के परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट चेक करते रहें।

यह लेख सार्वजनिक सूचनाओं और सरकारी नोटिफिकेशन्स के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी कानूनी सलाह के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें।

अब कार लेना हुआ और भी आसान।Budget 2025 मे 12 लाख तक आय पर कोई टैक्स नही देना पडेगा।

budget 2025

भारत के वित्त मंत्री मा. निर्मला सितारमन आज सांसद मे बजेट Budget 2025 पेश किया है। जिसमे मध्यम वर्गीय आम आदमी को बडी राहत मिली है। 12 लाख तक आय पर कोई टैक्स नही देना पडेगा। एप्रैल 2025 से शुरु होनेवाले वित्तीय वर्ष मे नई टैक्स रेजीमेंटस लागू होगी। भारत मे जादातर लोग मध्यम उत्पन्न के दायरे मे आते है। उन्हे राहत देने के लिए इस बजट मे मोदी सरकार आकर्षित किया है। नयी कर प्रणाली कुछ इसतरह से होगी।

साल की कुल आयटैक्स रेट
0-4 लाख0%
4-8 लाख5%
8-12 लाख10%
12-16 लाख15%
16-20 लाख20%
20-24 लाख25%

             जिनका सालानी आय 12 लाख तक है, उन्हे अन्य टैक्स सेविंग करके जैसे, हौसिंग लोन, 80C, 80CC, 80D अंतर्गत आनेवाले छुट, 75 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा लेकर पुरा टैक्स फ्री हो सकते है।

             आनेवाले वित्तीय वर्ष से यह छुट मिलेगी। इन्कम टैक्स की मर्यादा बढाने से बजार लेने देन बढेगी। इसी कारण अर्थव्यवस्था को बढौती मिलेगी। मार्केट मे पैसा आयेगा।

            टैक्स के बचत से अब लोगोंको अपना कार का सपना साकार करना संभव होगा। बढती आय और टैक्स का बचत से लोगोंके हाथ मे पैसा रहेगा। तो स्वाभाविकसे खर्चा भी करेंगे। नयी नयी कारें खरीदी जायेंगी। तो पुरानी गाडी बेची जायेगी। पुरानी कार मार्केटमे उपलब्ध होंगी। अच्छी कंडीसन मे गाडी मिल सकती है।

तो अगर आप पुरानी गाडी खरीदनेकी सोंच रहे है, तो थोडासा धीरज रखे। आनेवाले वित्तीय वर्ष मे पुरानी कारे जादा मात्रा मो उपलब्ध हो सकती है। और अच्छी दामों मे मिलेगी। मगर ध्यान रहे पुरानी कारें खरीदने से पहले जाँच ले 16 मुद़दे

ई-वाहन यानी इलेक्ट्रिक गाडी की मांग को बढावा देने के लिए इलेक्ट्रिक गाडी पर टैक्स की छुट दी गयी है।

उपर दी गयी जानकारी केवल प्राथमिक स्तर पर से है। पुरी जानकारी लेना जरुरी है।

Conclusion – भारत के आम आदमी को आयकर पर छुट मिलने से अर्थव्यवस्था मजबूत हो जायेगी। मार्केट मे पैसा आने से सभी क्षेत्र मे खरीददारी होगी।

TATA NANO car-अब आयी समझ मे टाटा नैनो की अहमीयत।

ओडीशा के मुख्यमंत्रीने की टाटा नैनो मे सवाँरी।ओडीशा के सन्मानीय मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण मांझी और उप मुख्यमंत्री श्री कनक देव इन्होने टाटा नैनोमे सवाँरी की। इसका विडीओ वायरल हो गया है। जहाँ आजकल नेता बडी लक्झरी कार के साथ दिखते है, वहाँ इस विडीओमे ओडीशा के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री टाटा नैनो पिले कलर की गाडीसे सवाँरी करते दिखाई देते है। मुख्यमंत्री मांझी टाटा नैनो की ड्रायवर सीट के बगलसीट पर बैठे। उपमुख्यमंत्री ड्रायवर सीट पर बैठे है। सुरक्षा रक्षक तुरंत पीछे सीटपर बैठा। यह बहोत गर्व की बात है, की रतनजी टाटा की गाडीमे राज्य के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बैठे है, जो गाडी छोटी हे, और मैन्युअल है। टाटा नैनो हैचबैक प्रकारकी गाडी है।

शायद टाटा नैनो की अहमीयत अब लोगोंको समझ आ रही है।https://x.com/i/status/1875242413461217346

सर रतनजी टाटा अब नही रहे। लेकीन जब जब टाटा की गाडी रस्ते पर दिखाई देती है, तो सर रतनजी की छबी सामने आती है। रतन टाटा की सबसे प्यारी गाडी जो केवल भारतीयोंके लिए बनाई गयी थी टाटा नैनो। टाटा नैनो की जन्म की कहानी तो सभी को पता है। कै. रतनजी जब कही सफर करते थे, तो उनको दिखाई देता था कॉमन मैन। जो दोपैयो की गाडी पर चार चार लोग बैठे चलाते थे। उनमे बच्चे भी होते थे। यह देखकर रतनजी बेचैन होते थे। केवल इसलीय एैसे लोगोंके लिए उन्होने टाटा नैनो का निर्माण किया था।

लेकीन यह गाडी पुरी तरह फ़लॉप हो चुकी है। अब लोगों का टाटा नैनो की अहमीयत समझने लगी है। टाटा नैनो फ़लॉप होने का कारन मार्केटिंग गलत हुई थी। सस्ती कार कहा जाता था। लेकीन उसका आकार आकर्षक नही था। शुरुवात मे गाडी के इंजन मे खराबी के वजह से बदनाम किया गया। टाटा नैनो के तरफ देखनेके नजरीया सही नही था। लेकीन अब सैकेंड हैंड मार्केटमे इसकी मांग काफी है। टाटा नैनो का एवरेज बहोत ही अच्छा है। अंदर काफी स्पेस है। इसलीए इस गाडी मे बैठनेपर बीलकुल एहसास नही होता की, एक छोटी गाडी है। मेंटेनन्स कम है। इस कारण अब इस गाडी की मांग जादा है। लेकीन इसका मैनुफैक्चरींग बंद हो चुका है।

जब जब टाटा नैनो गाडी रास्तेपर चलती है, लोगोंको कै. रतनजी टाटाजीं का सपना सच होते दिखाई देता है।

Fastag compulsory- फास्टैग सभी वाहनों के लिए अनिवार्य: जानें इसके फायदे और इस्तेमाल के तरीके

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फास्टैग सभी वाहनों के लिए अनिवार्य: जानें इसके फायदे और इस्तेमाल के तरीके

भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान को बढ़ावा देने और सड़क परिवहन को सुगम बनाने के लिए फास्टैग (FASTag) को सभी वाहनों के लिए 1 अप्रैल 2025 से अनिवार्य कर दिया है। यह इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली है, जो वाहन चालकों को टोल प्लाज़ा पर बिना रुके भुगतान करने की सुविधा प्रदान करती है।

फास्टैग क्या है?

फास्टैग एक छोटी सी स्टिकर जैसी डिवाइस है, जिसे वाहन के सामने वाले शीशे पर लगाया जाता है। इसमें रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग किया जाता है। टोल प्लाज़ा पर लगे सेंसर इसे स्कैन कर आपके वॉलेट या बैंक अकाउंट से टोल शुल्क कटौती करते हैं।

फास्टैग क्यों अनिवार्य है?

समय की बचत: टोल प्लाज़ा पर लंबी लाइनों से बचने के लिए।

ईंधन की बचत: बार-बार रुकने और गाड़ी चालू/बंद करने से ईंधन की खपत कम होती है।

डिजिटल भुगतान: कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा।

पारदर्शिता: टोल शुल्क की पारदर्शिता और सही रिकॉर्ड।

पर्यावरण संरक्षण: गाड़ियों की लंबी कतारें खत्म होने से प्रदूषण में कमी।

पुरानी कार खरीदने वालों के लिए सुझाव

अगर आप पुरानी कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो फास्टैग का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

फास्टैग की स्थिति चेक करें: यह पहले से सक्रिय है या नहीं।

नामांतरण करें: फास्टैग को पुराने मालिक से हटाकर अपने नाम पर स्थानांतरित कराएं।

नई फास्टैग जारी करें: अगर पुराना फास्टैग बंद हो चुका है, तो बैंक या डिजिटल वॉलेट से नया फास्टैग लें।

बैंक अकाउंट लिंक करें: सुनिश्चित करें कि आपका फास्टैग सही वॉलेट या अकाउंट से जुड़ा हो।

फास्टैग कैसे लें?

फास्टैग विभिन्न बैंकों, पेटीएम, गूगल पे, और अमेज़न जैसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। इसे ऑनलाइन ऑर्डर करें या नज़दीकी बैंक शाखा से खरीदें।

निष्कर्ष

फास्टैग का उपयोग न केवल आपके सफर को सुगम बनाता है, बल्कि यह समय, पैसा और ऊर्जा की भी बचत करता है। चाहे आप नई कार खरीद रहे हों या पुरानी, फास्टैग को प्राथमिकता दें।

डिजिटल भारत की ओर आपका एक कदम, सफर को आरामदायक और भविष्य को स्मार्ट बनाता है।”

Online policy vc offline policy ऑनलाइन पॉलिसी बनाम ऑफलाइन पॉलिसी खरीदना : कौन सा बेहतर है?

online insurance vs offline insurance

online policy vs offline policy – बीमा पॉलीसी खरीदते समय सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि ऑनलाइन पॉलिसी खरीदें या ऑफलाइन पॉलिसी। आज के डिजिटल युग में, दोनों विकल्पों के अपने फायदे और नुकसान हैं। यह लेख आपको ऑनलाइन बीमा और ऑफलाइन बीमा खरीदने के सभी पहलुओं को विस्तार से समझाने में मदद करेगा।

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने के फायदे Benefit of online insurance

1. समय की बचत

ऑनलाइन बीमा खरीदने के लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं होती। बस अपने स्मार्टफोन या लैपटॉप का इस्तेमाल करें और पॉलिसी खरीदें। यह प्रक्रिया तेज़ और आसान है।

2. कम लागत

ऑनलाइन बीमा में एजेंट की फीस या अन्य मध्यस्थता लागत नहीं होती। इससे आपको कम प्रीमियम पर पॉलिसी मिल सकती है।

3. पारदर्शिता

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आपको बीमा की पूरी जानकारी, जैसे प्रीमियम, लाभ, कवर, और एक्सक्लूजन, मिलती है। इससे आप अलग-अलग पॉलिसी की तुलना कर सकते हैं।

4. तत्काल दस्तावेज़

पॉलिसी खरीदने के तुरंत बाद आपके पास दस्तावेज़ ईमेल के जरिए पहुंच जाते हैं।

5. 24/7 उपलब्धता

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने के लिए आपको समय की पाबंदी नहीं होती। आप कभी भी, कहीं भी इसे खरीद सकते हैं।

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने के नुकसान

1. तकनीकी ज्ञान की जरूरत

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने के लिए आपको इंटरनेट का बुनियादी ज्ञान होना चाहिए। आजकल तो हरकोई इंटरनेट इस्तेमाल करते है। वेबसाईट पर जा कर सही तरीके से पॉलिसी खरीदना जरुरी है।

2. व्यक्तिगत मार्गदर्शन का अभाव

ऑनलाइन बीमा खरीदते समय आपके पास कोई एजेंट या सलाहकार नहीं होता, जो आपकी शंकाओं को हल कर सके।

3. धोखाधड़ी का खतरा

कुछ असत्यापित वेबसाइट्स पर धोखाधड़ी का खतरा हो सकता है।

ऑफलाइन पॉलिसी खरीदने के फायदे

1. व्यक्तिगत सलाह

बीमा एजेंट आपको आपकी जरूरत के अनुसार सही पॉलिसी चुनने में मदद कर सकते हैं।

2. भरोसेमंद प्रक्रिया

एजेंट या बीमा कंपनी के ऑफिस में जाकर पॉलिसी खरीदने से प्रक्रिया अधिक भरोसेमंद लगती है।

3. कस्टमर सपोर्ट

ऑफलाइन बीमा खरीदने पर आपको एजेंट की तरफ से सहायता मिलती है, चाहे क्लेम प्रोसेसिंग हो या प्रीमियम भुगतान।

ऑफलाइन पॉलिसी खरीदने के नुकसान

1. अधिक खर्च

एजेंट की फीस और अन्य मध्यस्थता लागत के कारण प्रीमियम महंगा हो सकता है।

2. समय की खपत

ऑफलाइन पॉलिसी खरीदने में आपको एजेंट से मिलने या ऑफिस जाने में समय लग सकता है।

3. सीमित विकल्प

एजेंट अक्सर उन्हीं पॉलिसी की जानकारी देते हैं जो उनकी कंपनी से संबंधित होती हैं, जिससे विकल्प सीमित हो जाते हैं।

ऑनलाइन बनाम ऑफलाइन: किसे चुनें?

1. अगर आपको सुविधा चाहिए

ऑनलाइन बीमा खरीदना आपके लिए सही है। यह तेज, किफायती और सुविधाजनक है।

2. अगर आपको व्यक्तिगत मार्गदर्शन चाहिए

ऑफलाइन बीमा खरीदना बेहतर हो सकता है, खासकर जब आपको किसी एजेंट की सहायता चाहिए।

ऑनलाइन और ऑफलाइन बीमा में मुख्य अंतर

पैरामीटरऑनलाइन पॉलिसीऑफलाइन पॉलिसी
लागतकमअधिक
समयकमज्यादा
पारदर्शिताअधिककम
सहायतासीमितव्यक्तिगत
चुनने के विकल्पविस्तृतसीमित

कौन सी पॉलिसी बेहतर है?

बीमा खरीदते समय आपका निर्णय आपकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। यदि आप पैसे बचाना चाहते हैं और प्रक्रिया को तेज़ बनाना चाहते हैं, तो ऑनलाइन पॉलिसी आपके लिए सही है। लेकिन यदि आप व्यक्तिगत सहायता चाहते हैं और तकनीकी रूप से कमज़ोर हैं, तो ऑफलाइन पॉलिसी खरीदें।

निष्कर्ष

बीमा खरीदने का तरीका चुनना आपकी जरूरतों और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। दोनों विकल्पों के अपने फायदे और नुकसान हैं। हमारा सुझाव है कि आप सभी विकल्पों की तुलना करें और अपनी ज़रूरतों के अनुसार सही पॉलिसी चुनें।

Self driving car- driverless car- भारत मे कब आयेगी

self driving car

बीजिंग, चीन में ड्राइवरलेस कार्स: एक नई क्रांति

भारत मे कब आयेगी self driving car- driverless car

              दुनिया की सबसे जादा आबादी चायना मे है। इसके बावजूद भी चायना ने काफी तरक्की की है। एक तरफ जादा आबादी के कारण उनका देश समस्यांसे झुज रहा है। लेकीन फीर भी देश के कुछ हिस्सो मे उन्होने विज्ञान और तंत्रज्ञान का उपयोग करके दुनिया से हटके बदलाव किये है। बीजिंग, चायना का राजधानी शहर, तकनीकी प्रगति में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ड्राइवरलेस कार्स के विकास और उपयोग में अग्रणी बन गया है। ऑटोनॉमस व्हीकल्स, जिन्हें आमतौर पर driverless car, self driving car कहा जाता है, बीजिंग में स्मार्ट सिटी योजना का अहम हिस्सा हैं।

यह एक युटयुबर ने व्हिडीओ जरुरी देखे।

driverless car

driverless car का विकास

बीजिंग में driverless car के ट्रायल और संचालन के लिए सरकार ने विशेष नियम और लाइसेंस जारी किए हैं। प्रमुख चीनी कंपनियां जैसे Baidu, Pony.ai, और AutoX ने शहर में अपनी रोबोटैक्सी सेवाएं शुरू की हैं। इन कारों में एडवांस सेंसर, कैमरे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI का उपयोग किया गया है, जो ट्रैफिक डेटा का लाइव विश्लेषण कर कार को सुरक्षित रूप से चलाते हैं।

रोबोटैक्सी सेवाएं

बीजिंग में Baidu की “Apollo Go” सेवा काफी लोकप्रिय हो रही है। ये ड्राइवरलेस टैक्सी यात्रियों को बिना किसी इंसानी हस्तक्षेप के गंतव्य तक पहुंचाती हैं।

स्मार्ट सड़कों का नेटवर्क:

बीजिंग ने ड्राइवरलेस कार्स के लिए हाई-टेक सड़कों का निर्माण किया है, जिसमें 5G नेटवर्क और स्मार्ट ट्रैफिक लाइट शामिल हैं।

पायलट प्रोजेक्ट्स: कई रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में इन कारों का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।

driverless car के फायदे बीजिंग में

सुरक्षित यात्रा: मानवीय गलतियों को कम करके सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाती हैं।

ट्रैफिक प्रबंधन: ट्रैफिक जाम और देरी को कम करने में मदद करती हैं।

पर्यावरण के लिए फायदेमंद: इलेक्ट्रिक ड्राइवरलेस कार्स से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।

चुनौतियां और सीमाएं

हैकिंग का खतरा: साइबर सुरक्षा एक बड़ी चिंता है।

नियम और कानून: दुर्घटनाओं के मामलों में जिम्मेदारी तय करना जटिल हो सकता है।

महंगा इंफ्रास्ट्रक्चर: स्मार्ट सड़कों और तकनीक की लागत बहुत अधिक है।

             अगर सोचे यह तकनिक भारत मे आये तो क्या होगा। या मानलो भारत जीस तेजीसे बदलाव और तकनीके आजमाने बढ रहा है। तो आनेवाले कुछ समय मे जरुर यह भी आयेगा। हालाँकी केंद्रीय परिवहन मंत्री श्री नितीनजी गडकरी ने यह बताया है, की भारत मे ऐसी कारे नही आनी चाहीये। क्यॅूंकी इससे ड्रायवर की नौकरी कम हो जायेगी। बेकारी बढेगी। लेकीन कल को हम जादा देर तक नही रोक सकते। सायन्स और तकनीक को अपनाकर मानवी जीवन अधिक तेज करने का मानो रेस लगी है।

दुनिया के हर इन्सान को नयी नयी तकनीक, खोज चाहीये। और उ्दयमींयों को पैसा। इसलीय यह दस्तक जरुर हमारे दरवाजे खटखटायेगी। चायना जैसे देश मे कानून सक्त है। वहाँकी जनता मे कानून का डर है। वहाँ पर कायदों का पालन अच्छी तरह होता है। जो की इस दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को जरुरी है। वरना हडबडी मच जायेगी। लेकीन भारत मे यह बडी समस्या है।

हमारे यहाँ कानून तोडने पर लोग बडे अभिमान रखते है। ऐसे देश मे इस तरह की तकनीक लाना और उपयोग करना थोडी दिक्कत होगी। लेकीन दुनिया की सबसे बडी मार्केट भारत है। तो इसमे अपना प्रोडक्ट बेचेनेके लिए कंपनीया तो कोशीश जरुर करेगी। फिलहाल तो हमे सिर्फ राह देखनी है, कब आयेगी self driving car.

निष्कर्ष

बीजिंग ड्राइवरलेस कार्स के उपयोग में दुनिया के सबसे उन्नत शहरों में से एक है। यह तकनीक न केवल यात्रा को आसान और सुरक्षित बना रही है, बल्कि भविष्य में स्मार्ट सिटी मॉडल के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही है। हालांकि, इसके व्यापक उपयोग के लिए तकनीकी, कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर काम करना आवश्यक है।

Virat Kohli Car Collection

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विराट कोहली: एक युवा क्रिकेटर से लेकर ग्लोबल स्पोर्ट्स आइकन तक का सफर

विराट कोहली का क्रिकेट के मैदान पर सफर प्रेरणादायक रहा है। उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने उन्हें विश्व क्रिकेट के सबसे सफल और प्रशंसित खिलाड़ियों में से एक बना दिया। लेकिन क्रिकेट के मैदान के बाहर भी विराट अपने लाइफस्टाइल, लग्जरी, और स्पीड के शौक के लिए जाने जाते हैं। यह उनके शानदार कार कलेक्शन में साफ दिखाई देता है। चलिए, विराट कोहली के कुछ शानदार कार कलेक्शन पर नज़र डालते हैं।


विराट कोहली की कारों का कलेक्शन

1. Lamborghini Huracan: पावर और स्टाइल का मेल

लैम्बॉर्गिनी हुराकैन विराट के कलेक्शन का एक खास हिस्सा है। इसकी आइकॉनिक scissor doors और V10 इंजन इसे अलग पहचान देते हैं। यह सुपरकार 3.22 करोड़ रुपये की कीमत पर आती है। 325 किमी/घंटा की टॉप स्पीड वाली यह कार परफॉर्मेंस और स्टाइल का एक बेहतरीन उदाहरण है।


2. Bentley Continental GT: क्लास और लग्जरी का प्रतीक

2018 में खरीदी गई यह कार विराट के लग्जरी टेस्ट को दर्शाती है। 4.04 करोड़ रुपये की कीमत वाली इस कार में ट्विन-टर्बोचार्ज्ड V8 इंजन है, जो 542 बीएचपी की पावर जनरेट करता है। इसकी शानदार इंटीरियर्स और स्मूद ड्राइविंग एक्सपीरियंस इसे विराट के फेवरेट्स में शामिल करता है।

Benley Flying Spur

image credited by wikipedia.org


3. Bentley Flying Spur: परफॉर्मेंस और आराम का संगम

3.8 करोड़ रुपये की यह लग्जरी कार 6.0-लीटर टर्बोचार्ज्ड W12 इंजन से लैस है। 626 बीएचपी और 900 एनएम टॉर्क के साथ यह कार आराम और परफॉर्मेंस दोनों का बेजोड़ मेल है। विराट को अक्सर इस कार में सफर करते हुए देखा जाता है।


4. Audi R8 LMX: लिमिटेड एडिशन मास्टरपीस

यह लिमिटेड एडिशन कार भारत में जनवरी 2015 में लॉन्च की गई थी। इसकी कीमत 2.97 करोड़ रुपये है। 5.2-लीटर V10 इंजन, 570 हॉर्सपावर, और 3.2 सेकंड में 0-100 किमी/घंटा की स्पीड हासिल करने की क्षमता इसे एक परफॉर्मेंस बीस्ट बनाती है।


5. Range Rover Vogue: क्लासिक और प्रैक्टिकल

रेंज रोवर वोग विराट के कलेक्शन में एक क्लासिक एसयूवी है। 2.11 करोड़ रुपये की कीमत पर यह कार शानदार कम्फर्ट और बेहतरीन ड्राइविंग एक्सपीरियंस देती है। विराट को अक्सर इसके साथ पब्लिक इवेंट्स में देखा गया है।


6. Audi Q7: फैमिली और स्टाइलिश SUV

ऑडी Q7 विराट के कलेक्शन की एक और बेहतरीन एसयूवी है। यह कार लग्जरी और स्पेस का बेहतरीन मिश्रण है। इसकी कीमत लगभग 88 लाख रुपये है। विराट इसे फैमिली ट्रिप्स और आरामदायक राइड्स के लिए इस्तेमाल करते हैं।


7. Toyota Fortuner: विश्वसनीय और मजबूत

हालांकि यह विराट की अन्य कारों जितनी महंगी नहीं है, लेकिन फॉर्च्यूनर उनकी कलेक्शन में मजबूती और विश्वसनीयता का प्रतीक है। इसकी कीमत 35 लाख रुपये है और यह लंबे सफर के लिए उपयुक्त है।


निष्कर्ष

विराट कोहली का कार कलेक्शन उनकी लग्जरी और परफॉर्मेंस के प्रति दीवानगी को दर्शाता है। लैम्बॉर्गिनी, बेंटले से लेकर रेंज रोवर और ऑडी तक, उनका कलेक्शन किसी सपने से कम नहीं है। ये कारें उनकी पर्सनैलिटी और उनकी पसंद का परफेक्ट एक्सटेंशन हैं।


FAQs

1. विराट कोहली की सबसे महंगी कार कौन सी है?
बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी उनकी सबसे महंगी कारों में से एक है, जिसकी कीमत 4.04 करोड़ रुपये है।

2. विराट कोहली ने अपनी पहली लग्जरी कार कब खरीदी?
विराट ने अपनी पहली लग्जरी कार बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी 2018 में खरीदी।

3. क्या विराट कोहली के पास इलेक्ट्रिक वाहन भी है?
फिलहाल, उनके कलेक्शन में इलेक्ट्रिक वाहन नहीं हैं, लेकिन भविष्य में यह संभव है।

4. विराट कोहली की पसंदीदा SUV कौन सी है?
विराट की पसंदीदा एसयूवी रेंज रोवर वोग है।

5. क्या विराट कोहली की कारों में कस्टमाइजेशन भी है?
जी हां, विराट की कुछ कारों में कस्टमाइज इंटीरियर्स और फीचर्स हैं।

Untold story of Sir Ratan Tata- अब नही रहे रतन भारत के

ratan tata

आज देशभर में शोक की लहर है, क्योंकि भारतीय उद्योग जगत के महानायक, रतन टाटा का निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनकर हर दिल भारी हो गया है। रतन टाटा न सिर्फ एक उद्योगपति थे, बल्कि वह एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने अपनी सोच और इंसानियत से लाखों दिलों को जीता। उनकी सादगी, उदारता और विनम्रता की मिसाल शायद ही कोई और दे सके।

               रतन टाटा का जीवन हमेशा समाज के उत्थान के लिए समर्पित रहा। उन्होंने अपनी कंपनी को तो ऊंचाइयों तक पहुंचाया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने हमेशा अपने व्यापार को मानवीय मूल्यों के साथ जोड़ा। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अनगिनत सफलताएं हासिल कीं, लेकिन रतन टाटा ने कभी अपने योगदान का श्रेय खुद नहीं लिया। वह हमेशा अपने कर्मचारियों और टीम को आगे बढ़ाने में यकीन रखते थे।

           रतन टाटा का बचपन और शिक्षा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वह टाटा परिवार के सदस्य हैं, जिसने भारत के औद्योगिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनके पिता नवल टाटा ने भी उन्हें शिक्षा की महत्ता समझाई और उन्हें हमेशा जीवन में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।

         टाटा समूह का नेतृत्व

रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह की बागडोर संभाली। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई नए क्षेत्रों में कदम रखा और कंपनी को एक वैश्विक पहचान दिलाई। उन्होंने Tata morors, tata chemicals, tata steel, tata airlines, tata industries, tata tea, tcs टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों को मजबूत किया और टाटा नेनो जैसी क्रांतिकारी कार को बाजार में उतारा। रतन टाटा के दूरदर्शी नेतृत्व के चलते टाटा समूह आज विश्व की सबसे सम्मानित कंपनियों में से एक है।

सामाजिक कार्यों में योगदान

           रतन टाटा का दिल हमेशा गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए धड़कता है। उन्होंने हमेशा अपने बिजनेस से अधिक मानवता को महत्व दिया है। रतन टाटा ने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में कई अहम योगदान दिए हैं। वह टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से कई सामाजिक परियोजनाओं का संचालन करते हैं, जिनसे लाखों लोगों की जिंदगियां बदली हैं।

व्यक्तिगत जीवन की सादगी

           रतन टाटा का जीवन जितना सफल है, उतना ही सादा भी। वह हमेशा विनम्र और सहज रहते हैं। उन्हें दिखावा पसंद नहीं है और वह अक्सर अपने सहयोगियों और कर्मचारियों के साथ एक समान स्तर पर बातचीत करते हैं। उनके इस स्वभाव ने उन्हें न सिर्फ एक सफल उद्यमी बनाया है, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी।

रतन टाटा: अनकही कहानी

           रतन टाटा का नाम सुनते ही एक सम्मान और गर्व का एहसास होता है। उन्हें हम एक सफल उद्योगपति, दूरदर्शी नेता और एक इंसानियत से भरपूर व्यक्ति के रूप में जानते हैं। लेकिन रतन टाटा की कुछ कहानियाँ ऐसी भी हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं, और ये कहानियाँ उनके जीवन के उस पहलू को उजागर करती हैं जो बेहद भावनात्मक और प्रेरणादायक हैं।

        रतन टाटा का बचपन एक संघर्षमय दौर से गुज़रा। जब वे 10 साल के थे, उनके माता-पिता का तलाक हो गया। तलाक के बाद, उन्हें और उनके भाई को उनकी दादी नवजबाई टाटा ने पाला। वह दौर उनके लिए कठिन था, क्योंकि एक टूटे परिवार के बच्चे होने के कारण उन्हें कई सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन रतन टाटा ने कभी भी अपने मन में कड़वाहट नहीं आने दी। उनकी दादी ने उन्हें हमेशा सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में विनम्रता और इंसानियत को बनाए रखना सबसे ज़रूरी है।

प्यार की अधूरी कहानी

           रतन टाटा के जीवन में एक प्रेम कहानी भी रही है, जो अधूरी रह गई। अमेरिका में पढ़ाई के दौरान उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था। दोनों ने शादी का भी फैसला किया था। लेकिन जैसे ही रतन टाटा भारत वापस लौटने का सोचने लगे, लड़की के परिवार ने शादी को मंजूरी देने से इंकार कर दिया। यह घटना रतन टाटा के जीवन का सबसे कठिन दौर था। उन्होंने अपने इस प्यार को कभी भुलाया नहीं, लेकिन अपनी निजी जिंदगी को हमेशा एक पर्दे के पीछे रखा।

एक इंसानियत की मिसाल

              रतन टाटा के व्यक्तित्व की एक और अनकही कहानी है, जब 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद, उन्होंने अपनी कंपनी, ताज होटल के कर्मचारियों के साथ खड़े होकर उनकी मदद की। हमले के दौरान होटल के कई कर्मचारी और मेहमान मारे गए थे। लेकिन रतन टाटा ने पीड़ितों के परिवारों को न सिर्फ मुआवजा दिया, बल्कि उनकी हर संभव मदद की। उन्होंने किसी भी कर्मचारी को नहीं निकाला, और यह सुनिश्चित किया कि सबको पूरा समर्थन मिले। यह घटना उनकी संवेदनशीलता और इंसानियत की मिसाल है।

रतन टाटा और टाटा नैनो

         सडक पर जब सामान्य नागरीक दो पयौपर अपने बच्चो के साथ बडी रिस्क से चलाते देखकर उन्होंने आम आदमी खरीदसके इसलिए आशियाई मे सबसे सस्ती कार टाटा नैनो लाँच किया।

सादगी और विनम्रता

          रतन टाटा की एक और अनकही कहानी उनकी सादगी से जुड़ी है। करोड़ों की संपत्ति के मालिक होते हुए भी, वह हमेशा एक साधारण जीवन जीते हैं। उनके पास कोई आलीशान घर या महंगी गाड़ियाँ नहीं हैं। वह हमेशा अपने छोटे कुत्तों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। रतन टाटा की यही सादगी उन्हें औरों से अलग बनाती है। उन्होंने कभी अपने पद या संपत्ति का घमंड नहीं किया और हमेशा एक आम आदमी की तरह जीने में विश्वास रखा।

रतन टाटा की ये अनकही कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि सफलता सिर्फ धन या शोहरत में नहीं होती, बल्कि उस इंसानियत में होती है, जिसे हम अपनी हर जीत में शामिल करते हैं। click