Best car insurance policy pros & cons

CAR INSURANCE policy क्या है?

car insurance

मानलो कोई इन्सान गाडी चला रहा है। उसने किसी दुसरे इन्सान को गाडी से उडा दिया, या फिर किसी के प्रॉपर्टी का नुकसान किया है। या खुद की गाडी का नुकसान हुआ है। ऐसे स्थिती मे नुकसान उठाने के लिए इन्शुरन्स कंपनी कुछ किस्त लेकर जिम्मेदारी लेती है। हालाकी उसमे काफी सारे नियम होते है।

Car Insurance – कार का इंश्योरेंस कितने रुपए का होता है?

Car Insurance क्या है?

         जैसे किसी इन्सान का इन्शोरन्स होता है।किसी प्रापर्टीका इन्शोरन्स होता है। घर,दुकान या अन्य किसी तरह की प्रॉपर्टी होती है।उसी तरह कार का इन्शोरन्स होता है। car insurance premium यानी किस्त गाडी के IDV (Insured Declared Value) पर निर्भर करता है। कमसे कम 2000 रु से 12000 रु तक या उससे भी जादा हो सकता है। IDV (Insured
Declared Value
) क्या है? इन्शोरन्स कंपनी जो किस्त लेकर गाडी का नुकसान होने पर या चोरी होने पर जो राशी उपभोक्ता को देने की जिम्मेवारी लेती (claim) है उस राशी को IDV (Insured Declared Value) कहा जाता है। 

          यह राशी गाडी के प्रकार (types of cars) पर और गाडी के शोरुम किमत (ex showroom price) पर निर्भर करती है। हर साल यह राशी कम होती रहती है। IDV= गाडी की किमतगाडी की उम्रहास (depreciation) इसके अलावा अगर गाडी मे Accessories लगवाई है, तो उसका भी depreciation होता है। कार इन्शोरन्स मतलब गाडी की वह किमत जो इन्शोरन्स कंपनी गाडी की नुकसान होने पर देने वाली है। उसी को IDV कहा जाता है। अगर आप ऑनलाईन पॉलीसी लेते है, तो आप IDV कम जादा कर सकते है।

          ऑफलाईन करने पर एजंट गाडी की जाँच करके ही किस्त तय करते है। IDV कम करने से गाडी के मालिक का नुकसान हो सकता है। IDV कम करने से किस्त कम जाता है। लेकीन अगर गाडी का नुकसान हो जाता है, या फिर क्लेम के लिए दावा करते है, तब IDV कम होने से उतनीही भरपाई मिलती है। जितनीकी किस्त भरी थी।

Insurance types

  • First party insurance – अगर कोई गाडी चला रहा है। और उसका accident होता है। उससे काफी नुकसान हुआ है। या जिवीत हानी होती है। तो उसकी भरपाई केवल कव्हर करती है, उसे first party insurance कहा जाता है।
  • Second party insurance – जो कंम्पनी कुछ किस्त लेकर गाडी चलाने वाले की और उस गाडी के नुकसान की जिम्मेवारी लेते है, उन्हे Second party insurance कहा जाता है।
  • Third party insurance – ये policy सब गाडी के लिए अनिवार्य है। आपके पास गाडी है तो आपको कमसे कम ये पॉलीसी लेनी जरुरी है। अगर ये पॉलीसी नही है, तो टाफीक पुलिस आपसे चालान काट लेंगे लेकीन केवल चालान से बचने के लिए नही बल्की आपको इसके कई सारे फायदे मिलते है। मानलो एक मिडल क्लास इन्सान लोन पर छोटीसी गाडी खरीदता है। बदकिस्मतसे उसका Accident हो जाता है। सामने वाली गाडी को ठोक देता है। यह गाडी काफी किमती होती है। अब उसका खर्चा भी तो जादा होता है। लेकीन यह बंदा उतना खर्चा सह नही पायेगा। तो इस स्थिती मे इन्शुरन्स कंपनी जिम्मेवारी लेती है और उसका नुकसान का पैसा देती है।

 इस पॉलीसी के 3 फायदे है। 1. अगर किसी ने सामने वाली गाडी को ठोक दिया है। उस गाडी का काफी नुकसान हुआ है। वो cover होता है। 2. सामनेवाले डायव्हर जखमी होता है। या फिर उसकी मौत हो जाती है। ये सब कव्हर होता है। 3. इसके अलावा P.A.C. मतलब Personal Accident Cover होता है। इसका मतलब जो गाडी चलानेवाला होता है, उसको अगर कोई major injury or death हो जाती है। तो इसका आर्थिक सहारा मिल जाता है।

Third Party Insurance लेने पर कितनी राशी भरपाई मिलती है?

Third Party Insurance का क्लेम करते वक्त उनके कुछ नियम होते है। अगर सामनेवाली गाडी का नुकसान होता है तो कंपनी उनके terms & condition के नुसार fix राशी भरपाई देती है। लेकीन अकर जिवीतहानी होती है। तो उसके लिए राशी की कोई मर्यादा नही होती है।