Self driving car- driverless car- भारत मे कब आयेगी

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self driving car

बीजिंग, चीन में ड्राइवरलेस कार्स: एक नई क्रांति

भारत मे कब आयेगी self driving car- driverless car

              दुनिया की सबसे जादा आबादी चायना मे है। इसके बावजूद भी चायना ने काफी तरक्की की है। एक तरफ जादा आबादी के कारण उनका देश समस्यांसे झुज रहा है। लेकीन फीर भी देश के कुछ हिस्सो मे उन्होने विज्ञान और तंत्रज्ञान का उपयोग करके दुनिया से हटके बदलाव किये है। बीजिंग, चायना का राजधानी शहर, तकनीकी प्रगति में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ड्राइवरलेस कार्स के विकास और उपयोग में अग्रणी बन गया है। ऑटोनॉमस व्हीकल्स, जिन्हें आमतौर पर driverless car, self driving car कहा जाता है, बीजिंग में स्मार्ट सिटी योजना का अहम हिस्सा हैं।

यह एक युटयुबर ने व्हिडीओ जरुरी देखे।

driverless car

driverless car का विकास

बीजिंग में driverless car के ट्रायल और संचालन के लिए सरकार ने विशेष नियम और लाइसेंस जारी किए हैं। प्रमुख चीनी कंपनियां जैसे Baidu, Pony.ai, और AutoX ने शहर में अपनी रोबोटैक्सी सेवाएं शुरू की हैं। इन कारों में एडवांस सेंसर, कैमरे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI का उपयोग किया गया है, जो ट्रैफिक डेटा का लाइव विश्लेषण कर कार को सुरक्षित रूप से चलाते हैं।

रोबोटैक्सी सेवाएं

बीजिंग में Baidu की “Apollo Go” सेवा काफी लोकप्रिय हो रही है। ये ड्राइवरलेस टैक्सी यात्रियों को बिना किसी इंसानी हस्तक्षेप के गंतव्य तक पहुंचाती हैं।

स्मार्ट सड़कों का नेटवर्क:

बीजिंग ने ड्राइवरलेस कार्स के लिए हाई-टेक सड़कों का निर्माण किया है, जिसमें 5G नेटवर्क और स्मार्ट ट्रैफिक लाइट शामिल हैं।

पायलट प्रोजेक्ट्स: कई रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में इन कारों का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।

driverless car के फायदे बीजिंग में

सुरक्षित यात्रा: मानवीय गलतियों को कम करके सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाती हैं।

ट्रैफिक प्रबंधन: ट्रैफिक जाम और देरी को कम करने में मदद करती हैं।

पर्यावरण के लिए फायदेमंद: इलेक्ट्रिक ड्राइवरलेस कार्स से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है।

चुनौतियां और सीमाएं

हैकिंग का खतरा: साइबर सुरक्षा एक बड़ी चिंता है।

नियम और कानून: दुर्घटनाओं के मामलों में जिम्मेदारी तय करना जटिल हो सकता है।

महंगा इंफ्रास्ट्रक्चर: स्मार्ट सड़कों और तकनीक की लागत बहुत अधिक है।

             अगर सोचे यह तकनिक भारत मे आये तो क्या होगा। या मानलो भारत जीस तेजीसे बदलाव और तकनीके आजमाने बढ रहा है। तो आनेवाले कुछ समय मे जरुर यह भी आयेगा। हालाँकी केंद्रीय परिवहन मंत्री श्री नितीनजी गडकरी ने यह बताया है, की भारत मे ऐसी कारे नही आनी चाहीये। क्यॅूंकी इससे ड्रायवर की नौकरी कम हो जायेगी। बेकारी बढेगी। लेकीन कल को हम जादा देर तक नही रोक सकते। सायन्स और तकनीक को अपनाकर मानवी जीवन अधिक तेज करने का मानो रेस लगी है।

दुनिया के हर इन्सान को नयी नयी तकनीक, खोज चाहीये। और उ्दयमींयों को पैसा। इसलीय यह दस्तक जरुर हमारे दरवाजे खटखटायेगी। चायना जैसे देश मे कानून सक्त है। वहाँकी जनता मे कानून का डर है। वहाँ पर कायदों का पालन अच्छी तरह होता है। जो की इस दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को जरुरी है। वरना हडबडी मच जायेगी। लेकीन भारत मे यह बडी समस्या है।

हमारे यहाँ कानून तोडने पर लोग बडे अभिमान रखते है। ऐसे देश मे इस तरह की तकनीक लाना और उपयोग करना थोडी दिक्कत होगी। लेकीन दुनिया की सबसे बडी मार्केट भारत है। तो इसमे अपना प्रोडक्ट बेचेनेके लिए कंपनीया तो कोशीश जरुर करेगी। फिलहाल तो हमे सिर्फ राह देखनी है, कब आयेगी self driving car.

निष्कर्ष

बीजिंग ड्राइवरलेस कार्स के उपयोग में दुनिया के सबसे उन्नत शहरों में से एक है। यह तकनीक न केवल यात्रा को आसान और सुरक्षित बना रही है, बल्कि भविष्य में स्मार्ट सिटी मॉडल के लिए एक मिसाल भी पेश कर रही है। हालांकि, इसके व्यापक उपयोग के लिए तकनीकी, कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर काम करना आवश्यक है।

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