Second hand cars Check point

Spread the love

Second hand cars गाडी खरीदने से पहले कौनसे पॉईंट चेक करना जरुरी है?

second hand cars
check point before buy used car
1. बजट2. Manufacture year
3. गाडी के मालिक owner4. Running गाडी कितनी चली है
5. टायर कंडीशन6.  बॅटरी
7. R.T.O. Passing8. गाडी पर बोजा
9. pending challan10. oil leakage इंजन ऑयल
11. accident ॲक्सीडंट रिकार्ड12. flood effect बाड का असर
13. body condition गाडी की बॉडी14. milage – गाडी का मायलेज
15. interior गाडी के अंदर की स्थिती16. अन्य – रंग, AC, transmission

पुरानी कार खरीदने से पहले कौन कौन चिजों पर ध्यान देना जरुरी है?

1) बजट –

second hand cars or अगर आप (used car) पूरानी कार खरीदते है, तो आपका अपना खुदका बजट बनाये रखते है। पहले आपको अपनी जेब पर ध्यान देना जरुरी है। आपकी माह की आय कितनी है? उसे आप एक कागज पर लिखे। उसके बाद आपका हर माह का खर्चा कितना है।  जैसे की मकान का किराया, राशन, मोबाईल रिचार्ज, कपडोंका खर्च, बिजली का बील, पानी का बील, बच्चोंके स्कूल का खर्चा, त्योहार के लिए, ट्रान्सपोर्ट, दवाईयाँ का खर्चा और उसके बावजूद अगर आप कूछ पैसा बचाते है, तो आपको कार लेना आसान होगा।

             जब कोई नई कार बजार मे आती है। तो सबका ध्यान तुरंत उस पर जाता है। रास्ते से चलती है तो लोग देखते रहते है। लेकीन कुछ दिनों बाद उसका असर कम होता जाता है। और नई मॉडेल बझार मे आती है, तो पहलेवाली कार पुरानी हो जाती है। आपको इन भावनाओंसे बचना है। उसको हवी न होने दे वरना आपका बजट बिगड जाता है। कुछ दोस्त लोग या बिक्री करने वाले आपका बजट बढाके और उँची गाडी लेने की सलाह देते है। हर एक की राय अलग अलग होती है। कोई कहता है, मारुती सुझुकी अच्छी है, कोई कहता है टाटा अच्छी है, कोई कहेगा हुंदाई अच्छी है, तो कोई कहेगा किया अच्छी है। आपको बस थोडासा सोचना है। ना की जादा। नही तो आप कभी भी कार ले नही पाओंगे।

लोन पर गाडी लेने से क्या नुकसान होता है?

मानलो अगर आप 8 लाख की नई गाडी लेते है। तो आपको EMI 5 साल के लिए 7 परसेंट से प्रतिमाह 11200 भरना पडेगा। इन्शुरन्स करीबन 6 से 7 हजार आयेगा। सर्व्हिंसिंग चार्जेस भी होता है। PUC, पेट्रोल। सब मिल के करीबन 13-15 हजार का खर्चा आता है। मतलब आपके महिने का बजट बढ जाता है। आप कार चलाओ या खडी रखो। कारका अन्य खर्चा करना ही पडता है।

  अब ट्वीस्ट तो अब है। अगर आप इसी (second hand car) कार को बेचना चाहों तो

आपकी कार की किमत कितनी आयेगी?

2 से 4 लाख कम ही हो जाती है दिन पर दिन आपकी कार की किमत कम होते जाती है। इसलीए लोन पर लेना सही नही है। लेकीन अगर आपकी आमदनी अच्छी है, और आप Afford कर पाते है, तो जरुर ले सकते है।

अब आपने बजट तो तय कर लिया है। आपको उस बजट मे कार भी किसीने बतायी है। अब आगे क्या देखना है।

2) गाडी की manufacturing year

गाडी कौन से साल मे बनाई गयी है। आज से कितने साल हो गये है। आपको बजट के नुसार आप कम से कम 2 सालसे लेकर 10 साल ते पुरानी कार देख सकते है। गाडी जितनी पुरानी उतनाही उसका maintenance  बढ जाता है। क्यूँकी गाडी के इंजन के जो पार्ट होते है, वह गाडी 1, 2 लाख चलने के बाद घिस जाते है। लेकीन ये गाडी के कंडीसन पर निर्भर होता है। यानी अगर किसी ओनर ने गाडी वक्तपर मेंटेंनन्स की है। आरामसे चलायी है। कही भी बडा accident नही करावाया है। तो 15 साल पुरानी गाडी (second hand car) भी अच्छी परफॉर्मन्स देती है। अगर गाडी roughly चलायी है। तो नइ कार भी खराब निकल सकती है।

3) गाडी के मालिक owner –

गाडी के कितने ओनर हो चुके है। ये देखना है अगर गाडी first owner है तो थोडी जादा किमत चुकानी पडती है। 2nd, 3rd , 4th  या इसे जादा ओनर रहने वाली गाडी की किमत कम हो जाती है। सलाह है की, 4th + owner वाली गाडी खरीदनेसे सावधानी रखे। इतने ओनर जब गाडी बेचते है या तो उसमे कुछ खराबी होती है, या फिर गाडी पुरानी होती है।

4 – गाडी की running

  Second hand car कितनी कि.मी. चली है ये भी देखना जरुरी होता है। जैसे उपर बताया है, की गाडी के पार्ट घिसे पिटे होते है। गाडी के मीटर पर गाडी कितनी चली है इसका पता चलता है। लेकीन कुछ लोग मॅकेनिकके मददसे मीटर का (reading) रिडींग कम कर देते है। अगर गाडी 7-8 साल पुरानी है और केवल 30 से 40 हजार चली दीखा रही है तो थोडा गौर से देखना जरुरी है।

गाडी थोडी चलाने के बाद जब स्पीड (speed) लेती है और उस वक्त अगर मीटर का कांटा (vibrate) व्हायब्रेट हो रहा है, तो जादा आशंका होती है गाडी का मीटर सेट किया है। जादा रनिंग हुई गाडी की मेंटेनन्स जादा आता है। Running  अगर 1.5 से 2 लाख या इसे उपर है तो गाडीके पार्ट घिसे होते है। उसी कारण गाडीका मेंटेनन्स बार बार निकलता है।

meter

5- Tyre condition

–  गाडी के चारो टायर और extra (स्टेपनी) की स्थिती चेक करे। टायर का पार्ट जहाँपर जमीन से संपर्क आता है उस पर लाईन ठीक से है। अगर टायर घिसे है तो उसको बदली करना पडेगा। उसका खर्चा बढ सकता है। इसलिए कार के टायर की स्थीती देख कर ले। टायर अगर 70 से 80 प्रतिशत है तो आपको तुरंत बदलने की जरुरत नही है। कुछ किलो मिटर तक चला सकते है। सिवाय स्टेपनी यानी extra tyre है या नही अगर है तो सुस्थिती मे है इसकी जांच करे।

tyre

6. Battery-

गाडी स्टार्ट करने के लिए, लाईट जलने के लिए बॅटरी होना जरुरी है। गाडी स्टार्ट करने के बाद बॅटरी चार्ज होती रहती है। लेकीन आप गाडी स्टार्ट होने पे अगर कुछ वक्त लगाता है, तुरंत होती नही है, या होती ही नही है, तो शायद गाडी की बॅटरी खराब हो सकती है। गाडी की बॅटरी कब बदली हुई है इसकी जांच करना। Owner से इसकी मांग करे। अगर बॅटरी वॉरंटी मे है तो बेहतर है। बॅटरी अगर खराब है तो उसका खर्च कमसे कम 4 से 4.50 हजार तक ऑर्डनरी गाडी के लिए आयेगा।

battery

7. R.T.O. Passing

गाडी की पासिंग कहाँकी है इसकी जानकारी लेना। Google app store पर कई  सारे एप आते है। जिसमे गाडी का नंबर डालके उसकी जानकारी मिलती है। जैसे की गाडी की manufacturing, company, color, owner, कब तक पासिंग है। ये सब पता चलता है।

या फिर RC बुक के नम्बर से engine no., chassis number इसका इस्तेमाल करके आप parivahan website से गाडी की details निकाल सकती है। अगर गाडी की पासिंग आपसे नजदीकी है, तो बेहतर है। ट्रान्सफर आसानी से होगा। लेगीन अगर एक स्टेट से दुसरे स्टेट पासिंग रही तो काफी दिक्कत आती है। और गाडी के नंम्बर से बार बार RTO पुलीस आपको रुका सकती है।

8. गाडी पर बोजा-

अगर पहले owner ने गाडी लोन पर ली है। तो उसका लोन पेड हुआ की नही इसकी जांच कर ले। Loan paid हुआ है लेकीन गाडी के RC Book से Hypothecation किया है या नही इसकी जाँच करले। यानी गाडी अभीभी किसी लोन कंपनी के नाम पर है या नही ये देंखे। क्यूंकी गाडी का लोन खत्‌म होने के बाद उसका Information बँकसे उतरवाके RTO ऑफीस देना पडता है। जिसके बाद लोन का बोजा उठ जाता है।

9. Challen

अगर पुरानी वाले owner ने गाडी चलाते वक्त स्पीड लिमीट तोडा है, या अन्य कोई कानून तोडा है, तो गाडी के नंबर से e-challan गाडीपे होता है। इसका भी ध्यान रखे। कोई चालान तो pdndingपेंडीग नही है।

10. oil check-

कभी कभी गाडी का इंजन का oil leakage होता है। अगर oil leakage है तो oil seal करने के लिए काफी खर्चा आता है। गाडी अगर खडी है। तो उसके नीचे झांककर देंखे। गाडी का बोनेट उठा के देंखे। कई ऑईल लिकेज तो नही है। अगर गाडी का ऑईल लिकेज है, तो ऐसी गाडी ना ले या फिर उसका खर्चा कम करके गाडी की किमत बता दे।

11. Accidental check-

अगर गाडी का कही major accident हुआ है। लेकीन फीर उसको रिपेअर कर रखा है। उसकी जाँच करले। गाडीकी बॉडी लाईन देंखे। उससे पता चल जाता है। बोनेट खोल कर देखे। अगर उसकी बॉडी लाईन बिगडी हुई तो नही है। क्यँकी अगर इंजन को धक्का लगा है तो गाडी मे  problem आ सकती है।

12. Flood affected  –

कई जगह पर बाड आ जाती है। जिसमे गाडी खराब हो जाती है। उसको repair करके गाडी सस्तेमे बेंचे जाती है। लेकीन ऐसी गाडी जादा चल नही सकती। और कई सारे problems आ सकते है। इंजन मे पानी जाने से गाडी का इंजन भी खराब हो सकता है।

Minor point

13. body condition – गाडी का बोनेट खोले और अच्छी तरह देंखे कही rust यानी जंग जादा तो नही है। जंग अगर जादा है तो गाडी का लाईफ कम हो जाता है। गाडी के नीचे झाँक कर देखे मुख्य पॅनेल खराब तो नही हुआ है। गाडी का मेट उठा कर जाँच करे।

14. Interior – गाडी का interior यानी seat, cover, window, door, कांच, डीकी, mirror, steering, आदि चिजे जोंकी minor है लकीन गाडी किमत तय करते वक्त ये चीजे ध्यान मे लेना जरुरी है। जब की ये सब चीजें आप खरीदकर नया लगा सकते है, लेकीन उससे गाडी की किमत बढ जाती है।

15. Mileage – हर गाडी का मायलेज अलग अलग होता है। गाडी जितनी मजबूत उतनाही जादा उसका वजन होता है। जादा वजन वाली गाडी को mileage कम होता है। गाडी का वजन कम, मायलेज जादा देती है। आपको अपने बजट के नुसार और उपलब्धी नुसार गाडी चुनना है

16. अन्य चिजे जैसे color, AC, model, accessories, transmission, इ। अपनी पसंती और उपलब्धी नुसार चेक करे।