
केवल 15/टोल करे सफर
3,000 में साल भर टोल फ्री: नितिन गडकरी की नई योजना से निजी वाहन चालकों को बड़ी राहत
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है जो देश में टोल वसूली के सिस्टम को पूरी तरह बदल सकती है। इस योजना के तहत निजी कार चालकों को ₹3,000 का वार्षिक पास मिलेगा, जिससे वे 200 बार नेशनल हाईवे पार कर सकते हैं — यानी प्रति यात्रा सिर्फ ₹15 का औसत खर्च होगा।
योजना की मुख्य बातें:
लॉन्च डेट: 15 अगस्त 2025 से यह योजना लागू होगी।
वार्षिक शुल्क: ₹3,000 में 200 टोल क्रॉसिंग्स की अनुमति।
लाभार्थी: केवल निजी कार मालिक; कमर्शियल वाहन इस योजना में शामिल नहीं होंगे।
टोल की बचत: जो लोग हर दिन या लंबे सफर करते हैं, उनके लिए यह योजना बेहद किफायती साबित होगी।
क्यों है यह योजना खास?
वर्तमान में FASTag के आने से टोल वसूली में सुधार हुआ है, लेकिन जो लोग रोज़ यात्रा करते हैं या शहरों के बीच नियमित ड्राइव करते हैं, उनके लिए हर महीने ₹2,000–₹3,000 तक का टोल खर्च आम बात है। ऐसे में ₹3,000 का एकमुश्त वार्षिक पास उन्हें बड़ी राहत देगा।
🛣 सरकार का लक्ष्य:
सरकार सिर्फ टोल घटाने का नहीं, बल्कि एक टेक्नोलॉजी-आधारित स्मार्ट हाइवे सिस्टम तैयार करने का इरादा रखती है। इस योजना से:
तेज रफ्तार एक्सप्रेसवे और मल्टी-लेन हाईवे का अधिकतम उपयोग बढ़ेगा।
लोकल और खराब सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा।
टोल प्लाजा पर लंबी लाइनें, देरी और भ्रम से छुटकारा मिलेगा।
क्या हैं चुनौतियां?
Fastag तकनीक में अभी भी कई खामियाँ हैं जैसे डबल डिडक्शन, गलत रीडिंग, आदि। अगर पास इसी से जुड़ा होगा, तो दुरुपयोग की संभावना बनी रहेगी।
3,000 का शुल्क फ्रिक्वेंट ट्रैवलर्स के लिए फायदेमंद है, लेकिन जो लोग कम यात्रा करते हैं, उनके लिए यह भारी पड़ सकता है। क्या ऐसे लोगों के लिए कोई ऑप्ट-आउट विकल्प होगा?
कुछ हाईवे प्राइवेट कंपनियों द्वारा संचालित हैं जो प्रति उपयोग शुल्क पर आधारित हैं। ऐसे में सरकार को नए समझौते या सब्सिडी मॉडल लाने होंगे।
भविष्य की संभावनाएं:
अगर यह योजना सफल होती है, तो भारत में एक सब्सक्रिप्शन-बेस्ड ट्रैवल सिस्टम की नींव रखी जा सकती है, जैसे:
टोल पास + EV चार्जिंग क्रेडिट्स
बीमा में छूट
डिजिटल ट्रैवल वॉलेट्स
निष्कर्ष:
यह योजना सरकार की लंबी सोच और आम जनता को राहत देने की दिशा में एक ठोस कदम है। लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितना स्मार्ट और ट्रांसपेरेंट तरीके से लागू किया जाता है। निजी वाहन चालकों के लिए यह सस्ती, आसान और फायदेमंद साबित हो सकती है — बशर्ते इसकी टेक्निकल और लॉजिस्टिक चुनौतियों को सही तरीके से हल किया जाए।