Common problem in used cars? पुरानी गाडी मे कौन कौनसी प्रोब्लेम आती है।

problem in used cars बैटरी खराब होना, इंजन ऑईल लिकेज, टायर खराब, गियर बॉक्स मे दिक्क्त, warning light, wheel alignment, brake problem.

common problem in used cars

जब used car पहली बार लेते है तो जल्दबाजी मे कार खरीद लेते है। इसी कारन कई बार used car मे काफी प्रॉब्लेम होते है, जो खरीदने के बाद पता चलता है। जादा उत्साह के कारन जो जाँच करना जरुरी है, उसके अभाव से नुकसान होने की संभावना जादा होती है। कुछ कॉमन गलतियाँ करने से हमे बचना चाहिये।

Problem in used cars

Battery problems – What happens if your car battery is weak?

 गाडी की चाबी लगाने के बाद पहले जिसे करंट पास होता है, और गाडी का इंजन शुरु होता है, जिस कारन गाडी चलती है, वो अगर खराब होती है, तो आपको जादा खर्चा करना पडता है। गाडी अगर तुरंत स्टार्ट नही होती है, या फिर उसके लाईट ठीक से नही जल रहे है। तो बैटरी चेक करना जरुरी है।

Does battery affect engine power?

बिल्कुल इंजन पर असर करता है। बैटरी खराब होने से गाडी का इंजन जादा गरम हो जाता है। इसी कारन इंजन के कुछ पार्ट खराब होने का कारन बन जाता है। कभी कभी बैटरी डाऊन होने के कारन भी यह दिक्कत आती है। पर हमे बारकाई से जाँच करना जरुरी है। गाडी डिलर या मालिक को यह बात पता होती है। फीर भी कुछ लोग नही बताते।

Engine Oil leakage – Can you drive a car with an oil leak?  अगर गाडी का ऑयल लिकेज है तो क्या मै गाडी चला सकता हू?

गाडी चल तो सकती है, पर चलाना सही नही है। क्यूंकी गाडी का इंजन ऑयल का लेवल लिकेज के वजह से अगर कम हो जाता है, तो गाडी का  इंजन के पार्टस खराब होने की संभावना जादा होती है। बार बार इंजन ऑयल की लेवल चेक करना पडता है।

          यह सबसे बेकार प्रॉब्लेम है। अगर second hand car लेने से पहले गाडी के निचे झाँक कर जाँच करे। अगर ऑयल गला हुआ दिखता है। और आपका यकीन होता है की गाडी का ऑयल लिकेज है, तो आप गाडी ना खरीदे।

How much does it cost to fix an oil leak under a car?

गाडी का इंजन भले ही सही है, पर यह फॉल्ट दुर करने के लिए पुरा इंजन निकाल कर चेक करना पडता है। जीस कारन कंपनी फिटींग निकल जाती है। आगे गाडी के इंजन को जादा दिक्कत आ सकती है। ऑईल सील करने का किमत कम है, पर इंजन खोलना और फिर से बिठाना इसता खर्चा जादा आता है।

Tyre condition –

car tyre

गाडी का टायर बाहर से तो अच्छा दिखाई देता है, पर टायर के अंदर से पुरा वायर निकल जाता है। कई बार जो बेचने वाले होते है, वो जादा मुनाफा कमाने के लिए खराब टायर पर उपरसे डिजाईन करवा लेते है। ऐसे टायर पर गाडी चलती है, तो शायद फटने का डर जादा होता है। जानलेवाँ हो सकता है।

गियर बॉक्स-

पुरानी गाडी के गियर आसानी से मुव नही होते है। शायद गियर बॉक्स का प्रॉब्लेम हो सकता है। अगर गियर चेंज करने मे हार्ड आता है, या अटक जादा है तो मैकेनिक से जाँच करावा ले।

Warning light – What could cause the check engine light to come on?

अगर गाडी के इंजर मे कुछ दिक्कत है, तो ड्रायव्हर के सामने बोर्ड पर वॉर्निग लाईट जलती है। अगर चेक इंजिन का लाईट आ जाता है, तो इसका मतलब है गाडी के इंजन मे कुछ गडबडी मची है। चेक इंजन दिखा रहा है फीर भी अगर गाडी चलाते है, तो शायद गाडी का इंजन जाम होकर जगह पर ही बंद पड सकती है। कभी कभी ऐसा भी होता है, की गाडी का सेन्सर खराब होनेकी वजह से भी चेक इंजन लाईट जलती है। गाडी की बैटरी खराब होने से या जादा दिनों तक गाडी अगर नही चली है, और बैटरी डाऊन है तो भी चेक इंजन का लाईट आ जाता है। लेकीन इसकी जाँच मेकेनिक से करवाना जरुरी होता है।

Wheel alignment – How much is a wheel alignment cost?

जब गाडी चल रही है, और अपने आप ही किसी एक साईड पर खिसक रही है, इसका मतलब गाडी का wheel alignment सही नही है। वक्त पर व्हील अलाईनमेंट करवाना जरुरी है। वरना गाडी के टायर एकसाईड घिस जाते है। व्हील अलाईनमेंट का केवल 200 से 400 रु. खर्च आता है। लेकीन अगर टायर खराब हो जाये तो 2500 से लेकर 6000 तक खर्च हो सकते है। गाडी पर निर्भर करता है।

इस तरह से आप जाँच कर ले सकते है। अगर मेकेनिक की मदत लेना सही है।

Conclusion – अगर आप को कार के बारे मे जानकारी है, तो आप उपर दिये गये प्रॉब्लेम पर जरुर ध्यान दे। इसके सिवाय अन्य 17 पॉईंट इस वेबसाईटपर दिये गये है। उसे चेक करे। used car खरीदने से पहले गाडी की tyre, engine oil, battery चेक करना बेहद जरुरी है। इसके सिवाय आप स्थानिय मेकेनिक की मदत जरुर ले।

What is vehicle scrap policy in India?

       Vehicle scrap policy क्या है?

Vehicle scrap policy
Vehicle Scrap Policy

सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने जारी के अधिसुचना के नुसार 1 अक्टुबर, 2024 के बाद 15 साल पुराने वाहनोंके लिए भारत सरकार ने पुरानी वाहनों के लिए Vehicle scrap policy जारी की है। जिसके मुताबिक ATS (Automate Testing Station) द्वारा फीटनेस सर्टीफिकेट लेना अनिवार्य है। जो वाहन इस टेस्ट मे फेल होगी वह स्क्रॅप करना अनिवार्य रहेगी।

What is the meaning of voluntary vehicle scrappage policy? (VVMP)

         पुरानी वाहनों के वजह से होनेवाला प्रदुषण रोकने के लिए अयोग्य (unfit) वाहनों और प्रदुषण करने वाले वाहनों को चलने से रोककर उनको scrap करने के लिए vehicle scrap policy जारी की है। उसके तहत स्वैच्छिक वाहन-बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम Voluntary vehicle-fleet Modernization Program (VVMP) कहा जाता है।

इस काय्रक्रम का मुख्य उद्देश
  1. करीबन 1 करोड वाहन जो फिट नही है और उनका रजिस्ट्रेशन नही करवाया गया है। ऐसे वाहनों को (scrap) स्क्रॅप किया जाये।
    1. Auto Industries – वाहन उदयोग क्षेत्र मे रोजगार बढाने के लिए उनकी बिक्री बढना जरुरी है। जब पुराने वाहन स्क्रॅप (scrap) मे जायेगी तो लोग नई खरीदेंगे।
    1. पुराने वाहन मायलेज कम देते है। इसी कारन इंधन जादा खत्म होता है। जैसे ही वाहन पुराने होते है, उनकी मेंटेनन्स का खर्च बढ जाता है। उपभोक्ता का खर्च कम हो सकता है।
    1. जो विदयमान स्क्रॅप (scrap) पॉलीसी है, उसे एक नया रुप देकर उस इंडस्ट्री को बढावा मिलेगा।
    1. इये वाहन की मांग बढने पर उसपर निर्भर अन्य उदयोग जैसे स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स और कच्चे माल की उपलब्धता करने वाले उदयोग इनकी मांग बढेगी।

What is Benefit of Scraping policy?

Scrap policy

इस पॉलीसी के फायदे क्या है।

           पुरानी गाडी के कारण होने वाली प्रदुषण की 15 से 20 प्रतिशत घटौती होगी। सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार का के मुताबिक पुरानी 1 ट्रक/बस/ट्रेलर (heavy vehicle) 14 नये ट्रक मे बराबर उत्सर्जन करता है। और पुरानी LMV (Light Moter Vehicle) कार/जीप इ. 1 पुरानी कार 11 नयी कारें के बराबर उत्सर्जन करती है।

           इस पॉलीसी के तहत 45 लाख मध्यम और भारी वाहन स्क्रॅप मे जायेंगे। और LMV (Light Moter Vehicle) कार/जीप इ 75 लाख स्क्रॅप करनी होगी। यह आंकडा देख कर ऐसा लगता है की, आनेवाले कुछ ही सालों मे भारत के सडक पर नई कारे जादा दिखाई देगी। और हवा और आवाज का प्रदुषण मे कमी आ सकती है।

          लेकीन भारत की बढती आबादी और प्रतीव्यक्ती बढती आय को देखते इस पॉलीसी से कितना फायदा होने वाला है, ये तो आनेवाले कुछ सालो मे पता केंद्रीय चल जायेगा।

 Which cars will be scrapped in India?

          सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) की 24 नवम्बर, 2022 की अधिसूचना के नुसार केंद्रीय सभी सरकारी वाहन जो 15 साल हो चुके है, उन्हे 1 अप्रैल, 2023 के बाद स्क्रॅप करा दिया जायेगा। जिनमे निचे दिये गये विभाग आते है।

1 केंद्र सरकार और उसके विभाग

  1. राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों और उनकके विभाग
  2. स्थानीय सरकारी संस्थाओं, अर्थात नगर निगम या नगर पालिकाएँ या पंचायतें
  3. राज्य परिवहन उपक्र्रम
  4. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
  5. केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के संबध्द स्वायत्त निकाय

Automated testing stations in India

             अब सभी वाहनों को ATS (Automoted Testing Station) द्वारा फीटनेस सर्टीफिकेट लेना अनिवार्य है। वाणिज्य वाहन(commercial vehicle) के पंजीकरण का फीटनेस प्रमाणपत्र से लिंक किया जायेगा। और पहले 8 साल तक हर दो-दो सालों मे और उसके बाद हर साल फीटनेस टेस्ट करना अनिवार्य है।

क्या मैं भारत में 15 साल पुरानी कार खरीद सकता हूं?

             लेकीन (private) निजी वाहनों के लिए 15 साल के बाद फीटनेस सर्टीफीकेट लेना अनिवार्य है। पंधरह साल के बाद अगर फीटनेस सर्टीफिकेट अगले 5 सालों के लिए दिया जायेगा। 1एप्रैल, 2023 से भारी वाणिज्य वाहन (Heavy Commercial Vehicle)  के मालिक को फीटनेस सर्टीफिकेट ATS (Automoted Testing Station) द्वारा फीटनेस सर्टीफिकेट लेना अनिवार्य किया था। और अन्य वाहन जैसे वाणिज्य वाहन और निजी वाहनों के लिए 1 जुन, 2023 से ATS (Automoted Testing Station) द्वारा फीटनेस सर्टीफिकेट लेना अनिवार्य है।

            लेकीन देशभर मे केवल उत्तराखंड और गुजरात इन 2 राज्योंमे ATS (Automoted Testing Station) शुरु हो चुकी है। इसलिए 29 मार्च, 2023 के अधिसुचना के अनुसार 15 साल पुराने (commercial) वाणिज्य वाहनों को फीटनेस टेस्ट करने और रिनीवल करने के लिए देश मे पर्याप्त ATS (Automoted Testing Station) उपलब्ध न होने के कारण सभी वाहनों के लिए 1 अक्टुबर, 2024 तक राहत दि गयी है। मतलब 1 अक्टुबर, 2024 के बाद सभी वाहनों को ATS (Automoted Testing Station) द्वारा फिटनेस टेस्ट करना अनिवार्य रहेगा।

Commercial vehicle (truck, bus, etc) वाणिज्य वाहनोंका रिनीवल करने के लिए कितना खर्च आता है?

वाहनों के प्रकार1 अप्रैल, 2023 के पहले का फीस1 अप्रैल, 2023 के बाद की फीस
फीटनेस टेस्टरिनीवल की राशीफीटनेस टेस्टरिनीवल की राशी
LMV (कार, जीप, इ.)Rs.600Rs.200Rs.1000Rs.7500
Medium Goods/ Passanger vehicle (ट्रक, बस)Rs.1000Rs.200Rs.1300Rs.10000
Heavy Goods/ Passanger vehicle(ट्रक, बस)Rs.1000Rs.200Rs.1500Rs.12500
renewal cost of Vehicle after 15 years

दिल्ली एनसीआर मे National Green Tribunal के आदेश नुसार पेट्रोल गाडी 15 साल के बाद और डिजेल गाडी 10 साल के बाद रिनीवल नही होती।

15 साल पुरानी गाड़ी का क्या होता है?

15 साल पुरानी वाहनों की एक बार टेस्ट करने के बाद अगर टेस्ट मे पास होती है तो उसको फीर से एक बार टेस्ट करने की अनुमती दि जाती है। और उसमे अगर पास हो जाती है तो अगले 5 साल तक उसकी परमिशन मिल जाती है। पर अगर टेस्ट मे फेल हो जाती है तुरन्त  स्क्रॅप के लिए देना पडेगा।

15 साल पुराने निजी वाहनों का रिनीवल क्या हो जाता है?
15 साल पुराने (private) निजी वाहनों का रिनीवल के लिए कितना खर्च पडता है।
वाहनों के प्रकार1 अप्रैल, 2023 के पहले का फीस1 अप्रैल, 2023 के बाद की फीस
फीटनेस टेस्टरिनीवल की राशीफीटनेस टेस्टरिनीवल की राशी
LMV (कार, जीप, इ.)60060010005000
15 years vehicle (car) Fees for renewal
What is advantages of scrapping policy in India?

पॉलीसी के फायदे क्या है?

  1. पुराने वाहन को स्क्रॅप सेंटर पर स्क्रॅप करने और नई गाडी खरीदते है तो नई गाडी के ex-showroom price पर 4-6 प्रतीशत किमत मालिक को मिल सकता है।
    1. नयी गाडी की पंजीकरण फीस जो डिस्ट्रीब्युटर गाडी खरीदते समय लगाते है। उसपर छुट मिलेगी अगर पुरानी गाडी का स्क्रॅप सर्टीफिकेट देते है।
    1. नयी गाडी के किमत पर निजी वांहनों के लिए 25 प्रतिशत तक छुट मिल जायेगी। और कमर्शियल वाहनों  के लिए 15 प्रतिशत छुट मिल जायेगी।

निष्कर्ष – Conclusion

       भारत सरकार की इस वेबसाईट पर दी गयी सुचना के अनुसार 15 साल पुरानी गाडी लेना सही नही है। अगर आपका बजट कम है, और आपकी जरुरत के लिए लेना ही चाहते है तो कमसे कम दाम मे ले।अगर आपको पुरानी गाडी खरीदना है, तो आपको इसके सिवाए कौन कौन सी पाँईट चेक करना है ये चेक करे।

Best car insurance policy pros & cons

CAR INSURANCE policy क्या है?

car insurance

मानलो कोई इन्सान गाडी चला रहा है। उसने किसी दुसरे इन्सान को गाडी से उडा दिया, या फिर किसी के प्रॉपर्टी का नुकसान किया है। या खुद की गाडी का नुकसान हुआ है। ऐसे स्थिती मे नुकसान उठाने के लिए इन्शुरन्स कंपनी कुछ किस्त लेकर जिम्मेदारी लेती है। हालाकी उसमे काफी सारे नियम होते है।

Car Insurance – कार का इंश्योरेंस कितने रुपए का होता है?

Car Insurance क्या है?

         जैसे किसी इन्सान का इन्शोरन्स होता है।किसी प्रापर्टीका इन्शोरन्स होता है। घर,दुकान या अन्य किसी तरह की प्रॉपर्टी होती है।उसी तरह कार का इन्शोरन्स होता है। car insurance premium यानी किस्त गाडी के IDV (Insured Declared Value) पर निर्भर करता है। कमसे कम 2000 रु से 12000 रु तक या उससे भी जादा हो सकता है। IDV (Insured
Declared Value
) क्या है? इन्शोरन्स कंपनी जो किस्त लेकर गाडी का नुकसान होने पर या चोरी होने पर जो राशी उपभोक्ता को देने की जिम्मेवारी लेती (claim) है उस राशी को IDV (Insured Declared Value) कहा जाता है। 

          यह राशी गाडी के प्रकार (types of cars) पर और गाडी के शोरुम किमत (ex showroom price) पर निर्भर करती है। हर साल यह राशी कम होती रहती है। IDV= गाडी की किमतगाडी की उम्रहास (depreciation) इसके अलावा अगर गाडी मे Accessories लगवाई है, तो उसका भी depreciation होता है। कार इन्शोरन्स मतलब गाडी की वह किमत जो इन्शोरन्स कंपनी गाडी की नुकसान होने पर देने वाली है। उसी को IDV कहा जाता है। अगर आप ऑनलाईन पॉलीसी लेते है, तो आप IDV कम जादा कर सकते है।

          ऑफलाईन करने पर एजंट गाडी की जाँच करके ही किस्त तय करते है। IDV कम करने से गाडी के मालिक का नुकसान हो सकता है। IDV कम करने से किस्त कम जाता है। लेकीन अगर गाडी का नुकसान हो जाता है, या फिर क्लेम के लिए दावा करते है, तब IDV कम होने से उतनीही भरपाई मिलती है। जितनीकी किस्त भरी थी।

Insurance types

  • First party insurance – अगर कोई गाडी चला रहा है। और उसका accident होता है। उससे काफी नुकसान हुआ है। या जिवीत हानी होती है। तो उसकी भरपाई केवल कव्हर करती है, उसे first party insurance कहा जाता है।
  • Second party insurance – जो कंम्पनी कुछ किस्त लेकर गाडी चलाने वाले की और उस गाडी के नुकसान की जिम्मेवारी लेते है, उन्हे Second party insurance कहा जाता है।
  • Third party insurance – ये policy सब गाडी के लिए अनिवार्य है। आपके पास गाडी है तो आपको कमसे कम ये पॉलीसी लेनी जरुरी है। अगर ये पॉलीसी नही है, तो टाफीक पुलिस आपसे चालान काट लेंगे लेकीन केवल चालान से बचने के लिए नही बल्की आपको इसके कई सारे फायदे मिलते है। मानलो एक मिडल क्लास इन्सान लोन पर छोटीसी गाडी खरीदता है। बदकिस्मतसे उसका Accident हो जाता है। सामने वाली गाडी को ठोक देता है। यह गाडी काफी किमती होती है। अब उसका खर्चा भी तो जादा होता है। लेकीन यह बंदा उतना खर्चा सह नही पायेगा। तो इस स्थिती मे इन्शुरन्स कंपनी जिम्मेवारी लेती है और उसका नुकसान का पैसा देती है।

 इस पॉलीसी के 3 फायदे है। 1. अगर किसी ने सामने वाली गाडी को ठोक दिया है। उस गाडी का काफी नुकसान हुआ है। वो cover होता है। 2. सामनेवाले डायव्हर जखमी होता है। या फिर उसकी मौत हो जाती है। ये सब कव्हर होता है। 3. इसके अलावा P.A.C. मतलब Personal Accident Cover होता है। इसका मतलब जो गाडी चलानेवाला होता है, उसको अगर कोई major injury or death हो जाती है। तो इसका आर्थिक सहारा मिल जाता है।

Third Party Insurance लेने पर कितनी राशी भरपाई मिलती है?

Third Party Insurance का क्लेम करते वक्त उनके कुछ नियम होते है। अगर सामनेवाली गाडी का नुकसान होता है तो कंपनी उनके terms & condition के नुसार fix राशी भरपाई देती है। लेकीन अकर जिवीतहानी होती है। तो उसके लिए राशी की कोई मर्यादा नही होती है।